Loan Myths Book एक ऐसी पुस्तक है जो लोन की दुनिया में फैली भ्रांतियों और अफवाहों को तोड़ने का कार्य करती है। आज के समय में अधिकतर लोग लोन को लेकर कई तरह के डर और भ्रम में जीते हैं, जैसे लोन लेना आर्थिक गुलामी है, क्रेडिट स्कोर एक बार गिर गया तो सुधर नहीं सकता, सिर्फ नौकरीपेशा लोग ही लोन के लिए योग्य होते हैं आदि। यह किताब ऐसे सभी झूठे विश्वासों को तथ्यों और तर्कों के साथ खारिज करती है।
पुस्तक की शुरुआत उन सामान्य मिथकों से होती है जो हर लोन आवेदक के मन में रहते हैं। जैसे – लोन लेना बुरा है, लोन सिर्फ अमीरों को मिलते हैं, सभी ब्याज दरें एक जैसी होती हैं आदि। इसके बाद हर अध्याय में इन मिथकों को असल डेटा, RBI गाइडलाइंस और फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।
यह किताब यह भी बताती है कि लोन का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए ताकि वह आपके वित्तीय लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद करे न कि बोझ बने। उदाहरण के तौर पर, गृह ऋण टैक्स लाभ देता है, व्यवसायी लोग EMI को कैश फ्लो के अनुसार मैनेज कर सकते हैं, और प्रोसेसिंग फीस हमेशा नुकसान नहीं होती ऐसे कई तथ्यों के साथ किताब जानकारी देती है।
Loan Myths Book न केवल व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करती है, बल्कि व्यावसायिक केस स्टडीज़ के ज़रिए भी बताती है कि कैसे गलतफहमियाँ हमें गलत निर्णय लेने पर मजबूर करती हैं। इस पुस्तक को पढ़कर कोई भी व्यक्ति अपने लोन से जुड़ी सोच को एक नए नज़रिये से देख सकेगा।
यह किताब फर्स्ट-टाइम लोन लेने वाले, फाइनेंशियल कंसल्टेंट, और हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो खुद को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना चाहता है।
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