Sale!

Bank Loan: Vyangya Sangrah

Original price was: ₹432.00.Current price is: ₹322.00.

  • व्यंग्य संग्रह – बैंक लोन
  • “जी, आपकी मासिक आय कितनी है?” बैंक के अधिकारी ने एक ऐसी मुस्कान के साथ प्रश्न किया जैसे मेरी निर्धनता का उपहास कर रहा हो।
  • मैंने संजीदगी से उत्तर दिया, “अगर आय होती तो क्या लोन लेने के लिए यहाँ आता?” उसकी मुस्कान को निस्तेज करते हुए मैंने कहा।
  • “तो फिर, इस स्थिति में, बैंक आपको ऋण प्रदान नहीं कर सकती,” उसने अत्यधिक दुख के स्वर में कहा, जैसे मेरी निर्धनता पर सहानुभूति प्रकट कर रहा हो, और मानो इसके आगे कुछ कहना व्यर्थ हो।
  • “जिसकी आय अच्छी हो, वो भला बैंक में लोन लेने क्यों आएगा? आप भी कैसी बातें कर रहे हैं साहब!” मैंने लगभग करुणा से भरे स्वर में कहा।
Category:

Description

व्यंग्य संग्रह – बैंक लोन

“जी, आपकी मासिक आय कितनी है?” बैंक के अधिकारी ने एक ऐसी मुस्कान के साथ प्रश्न किया जैसे मेरी निर्धनता का उपहास कर रहा हो।

मैंने संजीदगी से उत्तर दिया, “अगर आय होती तो क्या लोन लेने के लिए यहाँ आता?” उसकी मुस्कान को निस्तेज करते हुए मैंने कहा।

“तो फिर, इस स्थिति में, बैंक आपको ऋण प्रदान नहीं कर सकती,” उसने अत्यधिक दुख के स्वर में कहा, जैसे मेरी निर्धनता पर सहानुभूति प्रकट कर रहा हो, और मानो इसके आगे कुछ कहना व्यर्थ हो।

“जिसकी आय अच्छी हो, वो भला बैंक में लोन लेने क्यों आएगा? आप भी कैसी बातें कर रहे हैं साहब!” मैंने लगभग करुणा से भरे स्वर में कहा।

“तो फिर, किसी निजी बैंक से लोन ले लीजिए। हमारी सरकारी बैंक तो सिर्फ उन्हीं को ऋण देती है, जो लाखों-करोड़ों का कर्ज लेकर उसे लौटाते ही नहीं, और फिर हम सरकार से उसकी वसूली कर लेते हैं।” यह सुनकर मेरी आंखों में एक चमक उभर आई।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bank Loan: Vyangya Sangrah”